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Change thinking life will change

कुछ ऐसा करें कि.......



✶ सोचिए वही जिसे बोला जा सके और बोलिए वही जिस पर हस्ताक्षर किए जा सके.

✶ अपनी वाणी को वीणा की तरह बनाइए, बाण की तरह नहीं, ताकि वह मधुर संगीत की तरह सबको प्रिय लगे.



✶ खुद से गलती हो जाए तो बेझिझक माफी मांग लीजिए और दूसरे से गलती हो जाए तो माफ करने का बड़प्पन दिखाइए. तन - मन को स्वस्थ और सकारात्मक बनाए रखने का यही राज है.
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बच्चों को क्या सिखाएं:



✵ आप अपने बच्चों को बुरी नजर से बचा कर रखते हैं, परंतु बुरी संगत से ? बच्चों को बुरी संगत से बचाइए, नहीं तो कल आप पर उनकी बुरी नजर हो जाएगी.

✵ बालक परिवार के किलकारी समाज की शोभा और देश का भविष्य है. उस पर आप बेहतरीन संस्कार, शिक्षा और समय का निवेश कीजिए वह आपके यश और सुख का साधन बनेगा.

 बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए अपने परिवार का माहौल अच्छा बनाएं, क्योंकि परिवार ही बच्चों की वह पहली पाठशाला है जहां उसे जीवन के हर क्षेत्र का पहला पाठ का पहला संस्कार उपलब्ध होता है.

✵ अपने बच्चों में प्रतिदिन बड़ों को प्रणाम करने की आदत डालें. प्रणाम तो दुश्मन को भी करेंगे तब भी बदले में दुआओं की दौलत ही उपलब्ध होगी.

✵ अपने बच्चों को अच्छे विद्यालयों में पढ़ाए, पर ऐसे विद्यालयों में में पड़ाए जहां संस्कारों की कुर्बानी देनी पड़ती हो.

 अपने बच्चों में आत्मविश्वास जगाएं. उन्हें प्रेरणा व प्रोत्साहन दे. प्रेरणा और प्रशंसा पाकर तो चीटी भी पहाड़ लांघ जाती है.

 बच्चे तो प्यार, हंसी, समय ,कहानी और खेल के भूखे होते हैं और बुजुर्गों के पास इन चीजों का भंडार होता है. वे बच्चे किस्मत वाले होते हैं जिन्हें बुजुर्गों से यह खजाना मिलता है.

 बच्चों को खेलने का भी अवसर दीजिए. जो खतरों से नहीं खेलेगा, वह जीवन में आगे कैसे बढ़ेगा?

 बच्चों पर समय का निवेश भी कीजिए. आप उन्हें 20 साल तक संस्कार दीजिए, वे आपको 80 साल तक सुख देंगे.

✵ बच्चों को धर्म का ज्ञान कराएं ताकि वह गलत रास्ते पर जाने से बच सके. हर सुबह घर के बुजुर्गों व अभिभावकों के पांव छूने के लिए प्रेरित करें ताकि मेहमानों को प्रणाम करने के लिए बार-बार टोकने की जरूरत ना रहे.

✵ बच्चों को घर का बना खाना खिलाए.जंक फूड से परहेज रखें, इससे पैसे और ताकत दोनों का नुकसान होता है.

 बच्चों को मिठाइयां, चॉकलेट, चिप्स, शीतल पेय विशेष अवसरों पर ही दें. इनका रोजाना सेवन करने से बच्चों की भूख मर जाएगी और दांत भी खराब होंगे. बच्चों को फल जूस सलाद की और आकर्षित करें, उन्हें बताएं कि फल खाने से तुम मजबूत बनोगे.

 खाना खाते समय टीवी बिल्कुल बंद रखनी चाहिए. दिनभर टीवी देखने से बच्चों की आंखें कमजोर होती है और पढ़ाई भी कम हो पाती है.

 बच्चों के लिए चित्रकथाएं जरूर खरीदते रहिए. कहानियां और चित्र दोनों ही बच्चों को बहुत पसंद होते हैं.जो प्रेरणा एक छोटी सी कहानी से मिलती है वह बड़े-बड़े उपदेशों से भी नहीं मिल पाती.

 बच्चों पर प्यार भरा अनुशासन रखे. उन्हें एक स्वतंत्र मुक्त पौधे की तरह बढ़ने दें. ज्यादा टोका - टाकी करके यदि हम पोधे की टहनियां काटने की कोशिश करेंगे तो वह एक स्वस्थ होने की बजाय बोना पौधा बनकर रह जाएंगे.

 बच्चों को प्यार करें, पर इतना भी नहीं कि वह बिगड़ैल हो जिद्दी बन जाए. बच्चों को गुस्सा आ जाए तो बुरा ना माने, वह बाल - बुद्धि है, उन्हें बताएं कि गुस्सा करने से दिमाग कमजोर हो जाता है. प्यार से समझाएं वह समझ जाएंगे.

कहीं आप असफल तो नहीं हुए ?


✸ जब हमने पहली सांस ली थी तब हमारे माता-पिता हमारे साथ थे, जब वह आखरी सांस ले तब हम उनके साथ हो.

 बुजुर्ग लोग घर में टोका - टाकी की आदत छोड़ दें ,तो कोई भी संतान ऐसी नहीं है जो मां-बाप से अलग होने की सोचें.

 मुस्कान को किसी बैंक में fixed deposit मत कराइए,उसे करंट अकाउंट की तरह रोज,हर रोज खूब लेनदेन करते रहिए.

 हमारे सामने जैसे कोई समस्या आए तो हताश होने की बजाय एक ही सिद्धांत याद रखे :  हार नहीं मानूंगा हार मानने की जल्दबाजी नहीं करूंगा.

 एक बार हम हार मानने की जल्दबाजी कर बैठते हैं. यह साल बेकार गया तो क्या हुआ, जिंदगी अभी बाकी है. उगते हुए सूरज के साथ पॉजिटिव सोच रखते हुए खुद में ऊर्जा का संचार कीजिए और मेहनत में जुट जाइए, सफलता आपके कदम चूमेगी.

 माना कि हमने लक्ष्य बनाया,संघर्ष किया,प्रार्थना की,पर राह कठिन होने की वजह से जल्दी मैदान छोड़ दिया.काश हम थोड़ा सा धीरज और रखते लगन से थोड़ी समय और जुटे रहते तो वह चमत्कार घटित हो सकता जिसकी हमें चाहना थी.

 इस बात पर गौर कीजिए : "यदि मैं ठान लू तो कुछ भी कर सकता हूं."बस जरूरत है positive सोच की.

 जीत हमेशा जूझने से ही मिलती है, मैदान छोड़कर भागने से नहीं. हारो मत, हिम्मत बटोरो, सीना तान कर कदम बढ़ाओ, विश्वास रखो , positive सोच रखो ,मेहनत करने से ,ईश्वर के आशीर्वाद से ,भाग्य के बंद दरवाजे अवश्य खुलेंगे.

 जीवन किसी सांप - सीढ़ी के खेल की तरह है, कभी सांप के जरिए हम ऊपर से नीचे लुढ़क जाते हैं तो सीढ़ी के जरिए हम नीचे से ऊपर पहुंच जाते हैं.  एक बार नहीं 10 बार भी सांप निकल ले, तब भी हम इसी उम्मीद से पासा खेलते रहते हैं कि शायद अगली बार सीढ़ी चढ़ने का अवसर अवश्य मिल जाएगा ,इसे कहते हैं पॉजिटिव सोच.

 निराशा मृत्यु का दूसरा नाम है. हम कभी निराश ना हो, पर अगर कभी हो भी जाएं, तब भी उस निराशा में भी काम अवश्य करते रहें. लगातार टपकते पानी से तो पत्थर भी घिस जाता है.

 मन के हारे हार है और मन के जीते जीत. मन के टूटते ही जिंदगी टूट जाती है. आप अपने दिल की जमीन पर फिर से उत्साह और उमंग के बीज बोए, आपकी कड़ी मेहनत और पॉजिटिव सोच आपके जीवन को फिर से हरा भरा कर देगी.

 जीवन की सफलता का एक ही मंत्र है : पॉजिटिव सोच के साथ कड़ी मेहनत और लगन से, कठिन - से - कठिन लक्ष्य को भी आसान बना सकते हैं.

 गलत आदतों को छोड़िए और अपने समय की कीमत समझिए : आप आज जैसी नींव बनाएंगे,आपके आने वाले 50 वर्षों की सफलता का महल उस पर वैसा ही टिक पाएग नहीं है, लेकिन हार मान कर बैठ जाना अवश्य गुनाह है
Change thinking life will change Change thinking life will change Reviewed by Avi pushkar on 10:32 PM Rating: 5

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