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Motivational moral in hindi 2020

मनुष्य घर में निवास करता है, पर इससे बड़ी सच्चाई यह है कि उसका जीवन स्वयं अपने आप में घर ही है। जैसे घर में रहने वाले को घर की साफ-सफाई भी करनी होती है और उसकी सजावट भी, ऐसे ही जीवन की भी सफाई और धुलाई करनी जरूरी होती है। जीवन के आंगन में भी धूल जमा हो जाया करती है। जीवन को सुंदर और जीने लायक बनाने के लिए उस पर जमी हुई धूल को, कचरे और मिट्टी को हटाना होगा, सफाई करनी होगी। तभी हमारे जीवन का घर आनंद पूर्वक रहने और जीने के लायक बन सकेगा।

   कुदरत ने हम सब लोगों को कुछ खामियां देकर भेजा है, दो कुछ खासियत देकर। खामियों को हमें जीतना होता है और खासियत को जीना। क्या आप जानना चाहेंगे कि जीवन से उसकी खामियों को दूर हटाने का नाम क्या है ? इसे "त्याग" कहते हैं। त्याग जीवन को स्वच्छ और स्वस्थ करने का सुंदर तरीका है। भारतीय संस्कृति को त्याग की महिमा से भरी हुई है। आप चाहे संसार के किसी भी कोने में चले जाएं, आपको त्याग से बढ़कर अन्य किसी की गरिमा देखने को नहीं मिलेगी। 


  प्यार का मतलब है जीवन के पौधों की कटिंग करना। जहां अनावश्यक चीजें बढ़ गई है उन्हें काट छांट कर अलग करना। बुरी आदतें किसी पर भी हावी हो सकती है, परंतु उन्हें त्यागना ही सच्ची विजय है। दूसरों पर विजय प्राप्त करने वाला सिकंदर कहलाता है, परंतु स्वयं पर विजय पाने वाला महावीर कहलाता है। इस संसार में असंभव जैसा कुछ भी नहीं है, केवल सच्चे दिल से, मजबूत प्रण से प्रयास करने की आवश्यकता है। गलती करना प्रकृति है, परंतु गलती पर गलती करना विकृति है, और गलती को सुधार ना हमारी संस्कृति है। अतः आंतरिक त्याग की शरण में आना ही होगा।

   जीवन जीने के दो ही रास्ते हैं:-

अच्छाई का रास्ता एवं बुराई का रास्ता। अच्छे लोग अच्छाई के रास्ते पर चलते हैं, एवं बुरे लोग बुराई के रास्ते पर।अच्छाई का रास्ता ही तो वह रास्ता है जो जमीन को स्वर्ग बनाएगा। संसार के सारे महान लोगों को आगे आकर पहल करनी चाहिए और धरती को ही स्वर्ग बनाना चाहिए। आखिर हमें यह तो विकृतियों के वायरस और बुराइयों के बबूल हटाने ही होंगे । जीवन की बुराइयों को त्यागने में कौन सी  बुराई है ? जीवन में वह काम कतई नहीं किया जाना चाहिए जिसमें स्वयं का या किसी और का अहित हो। मानसिक विकारों और दुर्बलताओं को छोड़ना ही त्याग है। मन को अगर मजबूत कर ले तो दुनिया में ऐसा कोई विकार नहीं, जिसके वायरस पर विजय प्राप्त न की जा सके। किसी भी मानसिक विकार का त्याग करते समय भले ही शुरुआत में थोड़ी सी बेचैनी हो, परंतु यह त्याग जब अपना परिणाम देगा, तो वह हमारे लिए जीवन का अमृत बन जाएगा। 

   शराब, जर्दा तंबाकू, जुआ छोड़ कर देखिए,आप पाएंगे कि आपका परिवार ने केवल इस बात से प्रसन्न होता है वरन ऐसा करके आपने उसे बर्बादी के कगार पर बढ़ने से बचा लिया है। आपके तन मन और बुद्धि की शक्ति का पुनर्जन्म चुका है आपके परिवार की फुलवारी फिर से महक उठेगी। हमें अपनी एनर्जी को पॉजिटिव बनाना है तो हमें नेगेटिव चीजों का त्याग करना ही होगा। आप मुझे बताइए कि त्याग सबके लिए हितकारी है या कष्टकारी ? आखिर बिजनेस वही करना चाहिए जिसमें मुनाफा हो, जीवन को जीना भी किसी व्यापार की तरह ही है।

   आपका स्वभाव अगर क्रोध और चिड़चिड़ापन है, तो आप उसे त्याग करके ही दे में शांति और धैर्य को स्थान दें। हमेशा पानी ही आपको बुझाता है, आग, आग को नहीं बुझा सकती। 

   संसार को स्वर्ग बनाना है तो हथियारों को छोड़कर जादू की झप्पी को अपनाना होगा। प्रेम मोहब्बत मैं बड़ी ताकत होती है। किसी को जीतना है तो हम प्यार से जीत सकते हैं, तलवार से हम किसी को हरा तो सकते हैं, पर जीत नहीं सकते है। यदि हमारे चंद मीठे बोलो से किसी का रक्त बढ़ता है तो यह भी रक्तदान ही है। यदि हम खाना खाते समय थाली में उतना ही ले, कि उसमें से कुछ भी व्यर्थ न जाए तो ऐसा करना भी अन्न दान के बराबर ही है।

अकेले हम बूंद हैं,मिल जाए तो सागर है।

अकेले हम कागज हैं, मिल जाए तो किताब है।

अकेले हम अल्फाज है, मिल जाए तो लाजवाब है।

   हमें एक दूसरे से प्रेम भाव से रहना चाहिए। हमें नफरतों को जलाकर मोहब्बत की रोशनी करनी होगी, वरना इंसान तो जब भी जले हैं खाक हुए हैं, सारा करिश्मा प्रेम और मोहब्बत का ही है। इसलिए हमें दूसरों की गलती को माफ करके अपनी उदारता का परिचय देना चाहिए, आप स्वयं तो सुखी होंगे ही, उन्हें भी आपके सुख का सुकून मिलेगा जिनसे हम अब तक जलते और कटते रहे हैं।

   भीतर के तनाव को मिटाना है तो मुस्कुराना सीखिए, गुलाब से सीखिए कि वह किस तरह कांटों में भी मुस्कुराता रहता है।

   अब हम ऐसा उपवास करें जिसमें भोजन तो हो, पर क्रोध नहीं हो। मैं आने वाले 24 घंटों के लिए क्रोध नहीं करूंगा, यह संकल्प आपको तपो-मय बना देगा, आपको उपवास का फल स्वत: ही मिल जाएगा। जब भी हमें क्रोध आए तो उसके परिणामों के बारे में अवश्य सोचना चाहिए, क्योंकि क्रोध का समापन हमेशा प्रायश्चित ही होता है। आप क्रोध के परिणाम के बारे में सोचेंगे तो अपने आप क्रोध करने से ऊपर उठ जाएंगे।

   व्यक्ति जो जो अपने मानसिक विकारों का त्याग करता है, वह आध्यात्मिक सौंदर्य से ओतप्रोत होता चला जाता है। ईश्वर उसी में साकार होता है, जिसके हृदय का आंगन साफ और स्वच्छ होता है।

हमें अपने जीवन के साथ 6 आचरण जोड़कर चलने चाहिए:-

1. सबके साथ अच्छा आचरण रखें।

2.शालीन भाषा, शालीन भोजन और शालीन वेशभूषा का उपयोग करें।

3.स्वयं से गलती हो जाए तो आगे बढ़ कर माफी मांग ले और सामने वाले को भी माफ कर दे।

4.बड़ों का हमेशा आदर करें और बच्चों से प्यार।

5.अपने अधीन कर्मचारियों के साथ भी बहुत अच्छा व्यवहार करें।

6.कमजोर हो और दीन दुखियों की हमेशा मदद करने की भावना रखें।



Motivational moral in hindi 2020 Motivational moral in hindi 2020 Reviewed by Avi pushkar on 7:26 PM Rating: 5

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