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Easy ways to make thinking positive

 स्वस्थ सोच का स्वामी बनने के लिए पहला सूत्र है:- व्यक्ति सकारात्मक सोच का स्वामी बने। यह एक ऐसा सूत्र है, जिससे न केवल व्यक्ति की, वरन पूरे विश्व की समस्याओं को सुलझाया जा सकता है। टूटे हुए परिवारों को और रूठे हुए समाजों को जोड़ने के लिए सकारात्मक सोच सबसे बड़ा समाधान है। निराशा और हताशा के अंधेरे में अगर कोई आशा और उम्मीद का सवेरा ला सकता है तो वह  हमारी सकारात्मक सोच ही है। यह सर्व कल्याणकारी महामंत्र है।शांति, संतुष्टि, तृप्ति और प्रगति का अगर कोई प्रथम पहलू है, तो वह सकारात्मक सोच ही है।

   सकारात्मक सोच का स्वामी सदा धार्मिक ही होता है। सकारात्मकता से बढ़कर कोई पुण्य नहीं और नकारात्मकता से बढ़कर कोई पाप नहीं।सकारात्मकता से स्वर्ग का द्वार खुलता है और नकारात्मकता से नरक का।

Easy ways to make thinking

   कोई अगर पूछे कि मानसिक शांति और तनाव मुक्ति की शर्तिया दवा कौन सी है, तो सीधा सा जवाब होगा सकारात्मक सोच। इस मंत्र को अपनाने से यह कभी निष्फल नहीं होता है।

   आज की दुनिया में झगड़े की जड़ विचारों की है। जन्मकुंडलीया मिलाना तो फिर भी आसान हो गया है, परंतु विचारों की कुंडलियां मिलाना बहुत मुश्किल हो गया है। क्योंकि इंसान के ग्रह कुंडली में अब शनि, राहु या मंगल नहीं है उसके केंद्र गृह में नकारात्मक सोच का शनि, राहु और केतु हावी है।वास्तव में सकारात्मक सोच ही इंसान की सफलता का कारण है और हमारी नकारात्मक सोच ही मनुष्य की निष्पक्षता का।

  नकारात्मकता निराशा की मां है। विचारों में नकारात्मकता के आते ही व्यक्ति उदास और दुखी हो जाता है। जरूरी नहीं है कि व्यक्ति का हर प्रयास अपने पहले चरण में ही सफलता के शिखर को छू जाए। हमें असफलताओं से न तो घबराना है और ना ही विचलित होना है। व्यक्ति की हर असफलता सफलता के रास्ते का एक पड़ाव मात्र है।यह कम ताज्जुब वाली बात नहीं है कि थॉमस अल्वा एडिसन की एक सफलता के पीछे दस असफलताएं छिपी हुई रही है। दुनिया में हर इंसान अर्जुन जैसा ही समर्थ है। केवल जीवन से नकारात्मक तक को, नेगेटिविटी को हटाने की जरूरत मात्र है। यदि व्यक्ति अपनी असफलता से हार मान कर बैठ जाएगा, वह जीवन में कभी नकारात्मकता पर विजय प्राप्त नहीं कर सकेगा। असफलता से हार कर बैठने के बजाए, हम उसके कारण को तलाश है और पहले से भी ज्यादा जोश और विश्वास के साथ नई सफलता की ओर कदम बढ़ा ले।

   मैं एक ऐसे व्यक्ति के बारे में चर्चा करूंगा जो कि जीवन के 21 वर्ष में व्यवसाय में असफल हो गया था। अपने 22 वर्ष में उसने एक छोटा चुनाव लड़ा, लेकिन नाकामयाब रहा। 24 वर्ष में वह फिर व्यवसाय में असफल हुआ। 27 वें वर्ष में उसकी पत्नी का देहांत हो गया। 32 वर्ष में वह चुनाव में फिर हार गया। 40 वर्ष में फिर चुनाव में खड़ा हुआ, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। 47 वें वर्ष में उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव के लिए खड़ा हुआ, लेकिन भाग्य ने उसका साथ न दिया।आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इतनी असफलताओं से गुजरने के बाद भी उसका आत्मविश्वास से दिल नहीं हुआ और जीवन के 92 वर्ष में वह अमेरिका का राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन हुआ।

   असफल होना कोई बहुत बड़ी हानि नहीं है, लेकिन सफलता के लिए पुरुषार्थ ना करना जीवन की सबसे बड़ी असफलता है।हमारी सोच यदि सकारात्मक हो जाए तो हम सच में ही जीवन में एक गहरे आत्मविश्वास से भर उठेंगे और तब हमारा जीवन हमारे लिए बोझ ना होगा, वरन हर रोज जीवन को फिर से शुरुआत करने वाला बचपन भर होगा।

   एक चिड़िया ने मधुमक्खी से पूछा:-तुम इतनी मेहनत से शहद प्यार करती हो और लोग इसे चोरी करके ले जाते हैं, तुम्हें बुरा नहीं लगता ? मधुमक्खी ने पूरे विश्वास के साथ कहा-नहीं, वह मेरा शहर चुरा सकते हैं, लेकिन शहद बनाने की कला कभी नहीं।

   इसे कहते हैं सकारात्मक सोच । नुकसान और गलत हालात के बीच भी खुद को ऊर्जा और उत्साह से भरा रखना इसी का नाम है सकारात्मक सोच। आवेश और आक्रोश के क्षणों में हमारी जो भी सोच निर्णय होंगे, वें कभी बुद्धिमता पूर्ण हो ही नहीं सकते। हम कितने ही बुद्धिमान क्यों ना हो,लेकिन व्यग्रता के साथ लिए गए निर्णय में गुणात्मक ता का अभाव ही होगा।

   आपने कभी अपने आप पर ध्यान दिया कि हम छोटी-छोटी बातों पर मौजूद और उत्तेजित क्यों हो जाते हैं। सोच पर अपना नियंत्रण न होने के कारण अथवा सोचने की क्षमता का पूरा उपयोग न करने की वजह से ही तो घर, परिवार और समाज के बिखेरे बंटवारे होते रहे हैं। आपको यह पूरा हक है कि आपकी पत्नी के द्वारा कही गई बात पर ध्यान दें,परंतु इसका मतलब यह नहीं कि आप अपनी मां की बात को सुने बगैर सास बहू के झगड़े में अपने को उलझाए। किसी भी बिंदु पर अगर ठंडे मिर्जा से निर्णय ले लिया, तो हमें नुकसान ही होगा।

   हमें अपने किसी भी सोच अथवा विचार को व्यक्त करने से पहले एक बार उसके परिणामों पर गौर फरमाने की कोशिश करें। कहीं ऐसा ना हो कि जो सोचा, वह  उगल दिया। बोलने से पहले तोलें। गलत शब्द जिसने भी बोला उसको बाद में पछताना ही पड़ा। विचारों अथवा वाणी की अभिव्यक्ति ऐसी हो कि वह हमें भी सुख और सुकून दे और सुनने वाले को भी। जमीन अच्छी हो, खाद अच्छी हो, परंतु पानी खारा हो तो फसल नहीं खिलती, ऐसे ही घर अच्छा हो, व्यवहार अच्छा हो, परंतु वाणी अच्छी ना हो, तो रिश्ते कभी नहीं टिकते। जैसे कमान से निकला हुआ तीर कभी वापस नहीं आता वैसे ही मुंह से निकले हुए शब्द कभी वापस नहीं आते हैं। इसलिए हमेशा सोच समझकर ही बोलना चाहिए। सदा स्मरण रखें, फल वही होंगे, जैसे उससे जुड़े हुए बीज होंगे। प्रेम के बदले प्रेम लौटकर आएगा और नफरत के बदले नफरत।

   मेरा अंतिम अनुरोध है:-कि किसी भी गिलास को आधा खाली नहीं, हमेशा आधा भरा हुआ देखें। किसी के भी अवगुणों को नहीं, उसके सद्गुणों को देखें। कमियां तो सभी में है, अगला कमियों से अछूता है और न हम। दूध का धुला हुआ कोई नहीं है। कमियां और कमजोरियां देखने की आदत को छोड़ दें। अपनी सोच और दृष्टि को अच्छी बनाएं, ऊंची बनाएं, सुंदर और सम्मान भरी बनाएं। अच्छाई देखने की दृष्टि विकसित कर लो तो आप पत्थर में भी प्रतिमा को उजागर कर सकते है। बेटा हो या बहू, उनकी आलोचना करना छोड़ दें।अगर आपको लगता है कि उसे वैसा कुछ नहीं आता जैसा आप चाहते हैं, तो रोज-रोज टिप्पणियां करने की बजाए उन्हें वैसा करना सिखाए। प्रण कर लीजिए की मैं आज के बाद कभी किसी की निंदा, चुगली या आलोचना नहीं करूंगा। मेरे से किसी की तारीफ यह सम्मान हो पाएगा तो जरूर करूंगा, अन्यथा मोन ही रहूंगा। सकारात्मकता का सिद्धांत हमें अच्छाई पर गौर करने की प्रेरणा देता है। कभी कुछ गलत हो जाए तब भी अपनी ओर से बड़प्पन रखने की नसीहत देता है। किसी ने हमें गाली दी, बदले में हमने उसे भी गाली दी, तो इसमें किसी की खासियत क्या हुई? दोनोंके हो गए। किसी ने अलका बोला, फिर भी हमने उसे शरबत पिलाया, तो यह हुई बड़े दिल की बात। सचमुच, रिश्ते बड़े नहीं होते, उन्हें निभाने वाले बड़े होते हैं। दरार बड़ी नहीं होती, उसे भरने वाले बड़े होते हैं। कामयाबी बड़ी नहीं होती, उसे पाने वाले बड़े होते हैं।

   सदा के लिए इस मंत्र को अपनाइए :- आज से नो नेगेटिव, हर हाल में पॉजिटिव..... पॉजिटिव.....पॉजिटिव.....


Easy ways to make thinking positive Easy ways to make thinking positive Reviewed by Avi pushkar on 10:26 PM Rating: 5

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