बदले नजरिया : बदल जाएगी दुनिया:-
हमें सबसे पहले जीवन के प्रति सकारात्मक नजरिया को विकसित करने की जरूरत है.नजरिया होती बहुत छोटी चीज है,परंतु जीवन को सुखी और दुखी बनाने में इसका बहुत बड़ा हाथ होता है. हमारा नकारात्मक नजरिया हमारे जीवन की सबसे बड़ी विकलांगता है, वही सकारात्मक नजरिया सबसे बड़ी शक्ति है. दिखने में तो सारे इंसान एक जैसे ही होते हैं, परंतु प्रत्येक व्यक्ति के बीच जो अंतर डालता है वह अंतर नजरिया का ही है.
भगवान ने हर किसी को एक जैसा बनाया है- दो हाथ, दो पाव,दो आंख,दो कान,एक दिल और एक शानदार मस्तिष्क. फिर भी यहां सब अलग-अलग तरीके से जीते हैं, इसका कारण है नजरिया का फर्क. यहां कुछ लोग सफलता पाते हैं ,तो कुछ लोग निराशा और दु:ख के अंधेरों में खो जाते हैं. हमारा नजरिया ही यह तय करता है कि हम जिंदगी को किस तरह से देखते हैं ,हम परिस्थितियों को कैसे स्वीकार करते हैं और उन परिस्थितियों के प्रति कैसी प्रतिक्रिया करते हैं. धीरज से हालातों को सामना करना आ जाए तो हम हर हालात की हालत बदल सकते हैं. जीवन में तकलीफ आना तो पार्ट ऑफ लाइफ है ,परंतु उनका सामने कैसे करना, यह सीखना ही आर्ट ऑफ लाइफ है. हमारे दिल में आधे खाली गिलास को आधा भरा हुआ देखने का नजरिया होना चाहिए, तभी यह जीवन हमारे लिए सुख शांति और आनंद का आधार बन सकेगा.
एक युवक छत पर खड़ा था, आसमान में पतंगे उड़ाई जा रही थी और वह पतंगों का लुफ्त ले रहा था. सभी न जाने कहां से वहां एक कबूतर उड़ता हुआ आया और उसके सिर के ऊपर से गुजरा, संयोग की बात है कि उसी समय कबूतर ने बीट कर दी,बीट सीधी युवक के चेहरे पर जा गिरी, सारा मुह खराब हो गया, परंतु उसने अपना मूड खराब ना होने दिया, अचानक उसके मुंह से निकल पड़ा -ओ माय गॉड थैंक यू. पास खड़े दोस्त ने कहा-यह तो भगवान ने तेरे चेहरे पर कबूतर की बीट गिरा दी और तुम हो जो उल्टा भगवान को थैंक यू कह रहे हो. युवक ने कहा-भगवान जो करता है सब अच्छा ही करता है, कितना अच्छा हुआ भगवान ने कबूतर को ही पंख दिए, भैंस को नहीं. वरना सोच अगर भैंस को पंख मिले होते तो उड़ते हुए पोटा कर देती तो.....।
जीवन के प्रति अपने एटीट्यूड को चेंज कीजिए, लाइफ अपने आप चेंज हो जाएगी.जीवन में चित्र को ही नहीं चरित्र को भी सुंदर बनाइए, केवल भवन को ही नहीं भावना को भी सुंदर बनाइए,यह मात्र साधनों को ही नहीं ,साधना को भी सुंदर बनाइए.
स्वस्थ जीवन के लिए ले सात्विक भोजन:
जीवन के स्वास्थ्य- लाभ के लिए इस बात का बहुत बड़ा महत्व है कि हम क्या खाते- पीते हैं. जब तक व्यक्ति है नहीं समझेगा कि आहार कब, क्यों और कैसा लेना चाहिए, तब तक व्यक्ति रोगों से किसी-न- किसी तरह से घिरा हुआ ही रहेगा. आज दस में से सात आदमी किसी न किसी तरह की दवाई लेने को मजबूर है, हमें होना चाहिए था मजबूत पर हम हो गए मजबूर. कारण तलाशिए ?
हमारे शरीर को पोषण देने वाला सबसे बड़ा तत्व है हमारी ओर से लिया जाने वाला आहार. आहार अगर होगा दूषित तो शरीर कैसे बनेगा हष्ट पुष्ट. अन्न तो शरीर का प्राण है, जैसा खायेंगे अन्न वैसा रहेगा मन, जैसा रहेगा मन, वैसा ही बनेगा जीवन. स्वस्थ अन्न=स्वस्थ मन, स्वस्थ मन=स्वस्थ जीवन.
भोजन के लिए अपने सामने 6 प्रश्न
उपस्थित कीजिए:-
1. Why to eat.
2. What to eat.
3. When to eat.
4. Where to eat.
5. How to eat.
6. How much to eat.
स्वस्थ जीवन के लिए यह प्रश्न हमारे आहार को सात्विक बनाएंगे, संतुलित और बनाएंगे. हमारा भोजन तो हमारे शरीर की टंकी में भरा जाने वाला पेट्रोलियम है. अब भला पेट्रोल गाड़ी में दिन भर तो भरा नहीं जाता.एक बार भर लो, और ज्यादा जरूरत है तो दो बार भर लो, बहुत ही ज्यादा जरूरत है तो तीन बार भर लो दिन-भर लो, यह क्या जब देखो तब पेट्रोल की लाइन पर !
कैटरिंग वालों ने तो हमारे खान-पान को ही खराब कर डाला.शादी में जाओ तो छप्पन आइटम. अरे भाई, छप्पन भोग तो ठाकुर जी को ही चड़ने दो,खुद छप्पन भोग लेते रहे तो खा - खा कर खुद ठक्कर हो जाओगे.
भोजन ईधन की तरह है.भोजन करने का अर्थ यह नहीं कि जब - जो मिल गया उठाकर खा लिया. पेट कोई कूड़ादान नहीं है. यह हमारा अन्नमय कोश है, हमारे स्वास्थ्य का सेंटर है. भोजन अगर बार-बार ग्रहण कर रहे हैं तो शरीर के इंजन में गड़बड़ी हो सकती है, स्वस्थ जीवन के लिए भोजन का स्वस्थ, संयमित और सात्विक होना जरूरी है.
आखिर हम जैसा खाएंगे,वैसा ही परिणाम आएगा. इसीलिए तो कहावत है कि जैसा खाए अन्न, वैसा रहे मन.
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